Saturday, April 14, 2007

Lyrics from Bharat Ek Khoj

सृष्टी से पहले सत नहीं था, असत भी नहीं
अंतरिक्ष भी नहीं आकाश भी नहीं था
छिपा था क्या कहाँ किसने ढँका था
उस पल तो अगम अटल जल भी कहाँ था

सृष्टी का कौन है कर्ता
कर्ता है वा अकर्ता
ऊंचे आकाश में रहता
सदा अध्यक्ष बना रहता
वही सचमुच में जानता या नहीं भी जानता
है किसी को नहीं पता, नहीं पता, नहीं है पता........

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वो था हिरण्यगर्भ सृष्टी से पहले विद्यमान
वो ही तो सारे भूत जात का स्वामी महान
जो है अस्तित्वमान धरती आसमान धारण कर
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम अवि देकर

जिस के बल पर तेजोमय है अम्बर
पृथ्वी हरी भरी स्थापित स्थिर
स्वर्ग और सूरज भी स्थिर
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम अवि देकर

गर्भ में अपने अग्नि धारण कर पैदा कर
व्याप था जल इधर उधर नीचे ऊपर
जगा चुके वो का एकमेव प्राण बनकर
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम अवि देकर

सृष्टी निर्माता स्वर्ग रचयिता पूर्वज रक्षा कर
सत्य धर्म पालक अतुल जल नियामक रक्षा कर
फैली हैं दिशाएं बाहू जैसी उसकी सब में सब पर
ऐसे ही देवता की उपासना करें हम अवि देकर

1 comment:

-Bharat Puranik said...

I remember listening to the title song on TV and the tune and the lyrics always impressed me with it's richness and the feeling of serious appeal. Thanks for the lyrics.